
अगर आप ट्रेडिंग की दुनिया में नए हैं या अपने तकनीकी विश्लेषण (technical analysis) कौशल को बेहतर बनाना चाहते हैं, तो stochastic oscillator (स्टोकेस्टिक ऑसिलेटर) आपके लिए एक बहुत ही उपयोगी इंडिकेटर साबित हो सकता है।
यह एक मोमेंटम इंडिकेटर है जो हमें बताता है कि किसी शेयर की क्लोजिंग कीमत (closing price) एक निश्चित समय-अवधि की उच्च-निम्न सीमा (high-low range) के सापेक्ष कहाँ स्थित है। यह हमें संभावित ओवरबॉट (overbought) और ओवरसोल्ड (oversold) स्थितियों का पता लगाने में मदद करता है।
इस लेख में, हम स्टोकेस्टिक ऑसिलेटर के बारे में विस्तार से जानेंगे, जिसमें शामिल है:
- stochastic oscillator क्या है और यह कैसे काम करता है?
- इसकी गणना कैसे की जाती है?
- ट्रेडिंग के लिए इसका उपयोग कैसे करें?
- stochastic oscillator और RSI के बीच का अंतर।
- इसकी सीमाएं (limitations) और इसे अन्य इंडिकेटर के साथ कैसे उपयोग करें?
स्टोकेस्टिक ऑसिलेटर क्या है?
stochastic oscillator को 1950 के दशक के अंत में जॉर्ज लेन (George Lane) ने विकसित किया था। उनका मानना था कि एक अपट्रेंड (uptrend) में, किसी शेयर की कीमत आमतौर पर अपनी ट्रेडिंग रेंज के ऊपरी सिरे के करीब बंद होती है, और एक डाउनट्रेंड (downtrend) में, यह अपनी ट्रेडिंग रेंज के निचले सिरे के करीब बंद होती है। स्टोकेस्टिक ऑसिलेटर इसी सिद्धांत पर आधारित है।
यह इंडिकेटर दो लाइनों से बना होता है, जो 0 से 100 के बीच चलती हैं:
- %K लाइन: यह स्टोकेस्टिक का मुख्य घटक है और यह वर्तमान क्लोजिंग कीमत को ट्रैक करती है।
- %D लाइन: यह %K लाइन का मूविंग एवरेज (moving average) है, और यह एक सिग्नल लाइन के रूप में कार्य करती है।
Stochastic Oscillator इसकी गणना कैसे की जाती है?
स्टोकेस्टिक ऑसिलेटर की गणना का सूत्र इस प्रकार है:
%K = [(वर्तमान क्लोजिंग कीमत – n अवधियों की सबसे कम निम्न) / (n अवधियों की सबसे उच्च – n अवधियों की सबसे कम निम्न)] * 100
- n: यह वह समय-अवधि है जिसका उपयोग किया जाता है (आमतौर पर 14)।
%D = %K का 3-अवधि का सरल मूविंग एवरेज (Simple Moving Average)
आपको इन गणनाओं को स्वयं करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि सभी ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म इसे स्वचालित रूप से करते हैं।
ट्रेडिंग के लिए Stochastic Oscillator उपयोग कैसे करें?
स्टोकेस्टिक ऑसिलेटर का उपयोग करने के कुछ प्रमुख तरीके यहाँ दिए गए हैं:
- ओवरबॉट और ओवरसोल्ड स्तरों की पहचान:
- ओवरबॉट (Overbought): जब स्टोकेस्टिक 80 के ऊपर होता है, तो यह ओवरबॉट स्थिति का संकेत देता है, यानी कीमत शायद बहुत बढ़ गई है और एक संभावित डाउनवर्ड करेक्शन हो सकता है।
- ओवरसोल्ड (Oversold): जब स्टोकेस्टिक 20 के नीचे होता है, तो यह ओवरसोल्ड स्थिति का संकेत देता है, यानी कीमत शायद बहुत गिर गई है और एक संभावित अपवर्ड रिवर्सल हो सकता है।
- क्रॉसओवर (Crossovers):
- बुलिश क्रॉसओवर: जब %K लाइन %D लाइन को नीचे से ऊपर की ओर काटती है, तो यह एक खरीदने का संकेत हो सकता है।
- बेयरिश क्रॉसओवर: जब %K लाइन %D लाइन को ऊपर से नीचे की ओर काटती है, तो यह एक बेचने का संकेत हो सकता है।
- डाइवर्जेंस (Divergence):
- बुलिश डाइवर्जेंस: जब कीमत नई निम्न (lower low) बनाती है लेकिन स्टोकेस्टिक ऑसिलेटर उच्च निम्न (higher low) बनाता है। यह एक संभावित अपट्रेंड की शुरुआत का संकेत हो सकता है।
- बेयरिश डाइवर्जेंस: जब कीमत नई उच्च (higher high) बनाती है लेकिन स्टोकेस्टिक ऑसिलेटर निम्न उच्च (lower high) बनाता है। यह एक संभावित डाउनट्रेंड की शुरुआत का संकेत हो सकता है।
Stochastic Oscillator बनाम RSI
हालांकि दोनों ही मोमेंटम इंडिकेटर हैं, फिर भी उनमें कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं:
- RSI कीमत में परिवर्तन की गति को मापता है, जबकि स्टोकेस्टिक कीमत को उसकी ट्रेडिंग रेंज के सापेक्ष मापता है।
- RSI में केवल एक लाइन होती है, जबकि स्टोकेस्टिक में दो लाइनें होती हैं (%K और %D)।
- दोनों के संकेत कभी-कभी अलग-अलग होते हैं, इसलिए कई ट्रेडर दोनों का उपयोग करते हैं।
निष्कर्ष
Stochastic Oscillator एक बहुमुखी और प्रभावी इंडिकेटर है जो व्यापारियों को बाजार के मोमेंटम और संभावित टर्निंग पॉइंट (turning points) की पहचान करने में मदद करता है।
ओवरबॉट और ओवरसोल्ड स्थितियों, क्रॉसओवर और डाइवर्जेंस के माध्यम से इसका उपयोग करना एक लोकप्रिय रणनीति है।
हालांकि, किसी भी अन्य इंडिकेटर की तरह, इसका उपयोग भी अन्य तकनीकी विश्लेषण और जोखिम प्रबंधन उपकरणों के साथ किया जाना चाहिए ताकि झूठे संकेतों से बचा जा सके और व्यापार की सफलता की संभावना बढ़ाई जा सके।