संज्ञा और उसके भेद (Noun and Its Types)
संज्ञा हिंदी व्याकरण का एक मौलिक (fundamental) विषय है।
1. संज्ञा (Sangya / Noun) क्या है?

किसी व्यक्ति (Person), वस्तु (Thing), स्थान (Place), भाव (Emotion/Quality), या प्राणी (Creature) के नाम को संज्ञा कहते हैं।
| वर्ग (Category) | उदाहरण (Examples) |
| व्यक्ति | राम, सीता, महात्मा गांधी |
| वस्तु | किताब, कुर्सी, घड़ी, पानी |
| स्थान | दिल्ली, भारत, कमरा, पहाड़ |
| भाव/दशा | मिठास, क्रोध, बुढ़ापा, ईमानदारी |
2. संज्ञा के भेद (Types of Noun)
संज्ञा के मुख्य रूप से तीन (3) भेद माने जाते हैं, लेकिन कुछ विद्वान और व्याकरण की पुस्तकें पाँच (5) भेद मानती हैं।
A. मुख्य तीन भेद (The Three Main Types):
| भेद (Type) | परिभाषा (Definition) | उदाहरण (Examples) |
| 1. व्यक्तिवाचक संज्ञा (Proper Noun) | वह संज्ञा जो किसी विशेष (Specific) व्यक्ति, वस्तु या स्थान का बोध कराती है। | व्यक्ति: सचिन तेंदुलकर, स्थान: ताज महल, नदी: गंगा, दिन: सोमवार |
| 2. जातिवाचक संज्ञा (Common Noun) | वह संज्ञा जो किसी पूरी जाति, समूह या वर्ग का बोध कराती है। | व्यक्ति/प्राणी: मनुष्य, गाय, पक्षी, वस्तु: पुस्तक, मेज, स्थान: नगर, पहाड़ |
| 3. भाववाचक संज्ञा (Abstract Noun) | वह संज्ञा जो किसी व्यक्ति या वस्तु के गुण, दोष, दशा, अवस्था, या भाव का बोध कराती है (जिन्हें केवल महसूस किया जा सकता है, छुआ नहीं जा सकता)। | ईमानदारी, बचपन, सुंदरता, थकान, क्रोध |
B. जातिवाचक संज्ञा के उपभेद (Sub-Types of Common Noun):
आधुनिक व्याकरण में, जातिवाचक संज्ञा को दो और उपभेदों में बाँटा गया है, जिन्हें कुल पाँच भेद माना जाता है:
| उपभेद (Sub-Type) | परिभाषा (Definition) | उदाहरण (Examples) |
| 4. समूहवाचक संज्ञा (Collective Noun) | जो किसी समूह (Group) या समुदाय का बोध कराती है। | सेना, कक्षा, परिवार, भीड़, गुच्छा |
| 5. द्रव्यवाचक संज्ञा (Material Noun) | जो किसी द्रव्य (Material), पदार्थ या धातु का बोध कराती है, जिन्हें मापा या तौला जा सके। | सोना, चाँदी, पानी, तेल, दूध, आटा |
सर्वनाम और उसके भेद (Pronoun and Its Types)
1. सर्वनाम (Sarvanām / Pronoun) क्या है?
सर्वनाम वे शब्द हैं जो संज्ञा (Noun) के स्थान पर प्रयोग किए जाते हैं।
- उदाहरण: “राम अच्छा लड़का है। वह रोज़ स्कूल जाता है। उसका नाम क्लास में सबसे पहले आता है।”
- यहां, “वह” और “उसका” शब्द “राम” (संज्ञा) के स्थान पर प्रयोग हुए हैं।
- उद्देश्य: भाषा में बार-बार संज्ञा का प्रयोग करने से बचने और वाक्य को अधिक प्रभावी बनाने के लिए।
- शाब्दिक अर्थ: सर्व + नाम = सबका नाम।
2. सर्वनाम के भेद (Types of Pronouns)
हिंदी व्याकरण में सर्वनाम के छह (6) मुख्य भेद होते हैं:
| क्रम | भेद (Type) | परिभाषा (Definition) | सर्वनाम शब्द (Pronouns) | उदाहरण (Examples) |
| 1. | पुरुषवाचक सर्वनाम (Personal Pronoun) | जो वक्ता (बोलने वाला), श्रोता (सुनने वाला), या किसी अन्य (जिसके बारे में बात हो रही हो) के लिए प्रयोग होता है। | मैं, हम, तुम, आप, वह, वे | मैं बाज़ार जा रहा हूँ। तुम कहाँ जा रहे हो? वह मेरा भाई है। |
| 2. | निश्चयवाचक सर्वनाम (Demonstrative Pronoun) | जो किसी पास या दूर की वस्तु या व्यक्ति की ओर निश्चित संकेत करता है। | यह, वह, ये, वे | यह मेरी पुस्तक है। वे अच्छे लोग हैं। |
| 3. | अनिश्चयवाचक सर्वनाम (Indefinite Pronoun) | जिससे किसी निश्चित व्यक्ति या वस्तु का बोध न हो। | कोई, कुछ | बाहर कोई खड़ा है। दूध में कुछ गिर गया है। |
| 4. | प्रश्नवाचक सर्वनाम (Interrogative Pronoun) | जिनका प्रयोग प्रश्न पूछने के लिए किया जाता है। | कौन, क्या | वहाँ कौन आया है? तुम क्या खा रहे हो? |
| 5. | संबंधवाचक सर्वनाम (Relative Pronoun) | जो वाक्य में आए दो अलग-अलग बातों या उपवाक्यों को जोड़ते हैं और संबंध बताते हैं। | जो, सो, जैसा, वैसा | जो करेगा, सो भरेगा। जैसा बीज बोओगे, वैसा फल पाओगे। |
| 6. | निजवाचक सर्वनाम (Reflexive Pronoun) | जो कर्ता (Subject) के स्वयं या अपनेपन का बोध कराता है। | आप, स्वयं, खुद | मैं अपना काम स्वयं कर लूँगा। वह खुद ही चला गया। |
पुरुषवाचक सर्वनाम के उपभेद (Sub-types of Personal Pronoun):
पुरुषवाचक सर्वनाम को भी तीन भेदों में बाँटा जाता है:
- उत्तम पुरुष (First Person): बोलने या लिखने वाला। (जैसे: मैं, हम)।
- मध्यम पुरुष (Second Person): जिससे बात की जाए। (जैसे: तुम, आप)।
- अन्य पुरुष (Third Person): जिसके बारे में बात की जाए। (जैसे: वह, वे)।
सर्वनाम के शेष भेद (The Remaining Five Types of Pronouns)
1. निश्चयवाचक सर्वनाम (Niśchayavāchak Sarvanām / Demonstrative Pronoun)
| विशेषता (Feature) | विवरण (Description) |
| परिभाषा | यह किसी निश्चित व्यक्ति, वस्तु या स्थान की ओर संकेत करता है। यह पास या दूर की वस्तुओं के लिए निश्चितता का बोध कराता है। |
| सर्वनाम शब्द | यह (पास के लिए), वह (दूर के लिए), ये, वे |
| उदाहरण | * यह मेरी किताब है। (किताब निश्चित है और पास है) * वह राम का घर है। (घर निश्चित है और दूर है) * वे हमारे अध्यापक हैं। |
| नोट | यदि ‘यह’ और ‘वह’ के तुरंत बाद कोई संज्ञा आ जाए, तो ये सार्वनामिक विशेषण बन जाते हैं। (जैसे: वह लड़का जा रहा है।) |
2. अनिश्चयवाचक सर्वनाम (Aniśchayavāchak Sarvanām / Indefinite Pronoun)
| विशेषता (Feature) | विवरण (Description) |
| परिभाषा | यह किसी अनिश्चित (Uncertain) व्यक्ति, वस्तु, या पदार्थ का बोध कराता है। यह पता नहीं चलता कि कौन या कितना। |
| सर्वनाम शब्द | कोई (प्राणी/व्यक्ति के लिए), कुछ (वस्तु/पदार्थ के लिए) |
| उदाहरण | * दरवाजे पर कोई खड़ा है। (कौन खड़ा है, यह निश्चित नहीं है) * दाल में कुछ गिर गया है। (क्या गिरा है, यह निश्चित नहीं है) * मुझे खाने के लिए कुछ चाहिए। |
3. प्रश्नवाचक सर्वनाम (Praśnavāchak Sarvanām / Interrogative Pronoun)
| विशेषता (Feature) | विवरण (Description) |
| परिभाषा | इनका प्रयोग प्रश्न पूछने के लिए किया जाता है, ताकि किसी व्यक्ति, वस्तु या घटना के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सके। |
| सर्वनाम शब्द | कौन (प्राणी/व्यक्ति के लिए), क्या (वस्तु/कार्य के लिए) |
| उदाहरण | * तुम क्या कर रहे हो? * वहाँ कौन बैठा है? * तुम्हें क्या चाहिए? |
4. संबंधवाचक सर्वनाम (Sambandhavāchak Sarvanām / Relative Pronoun)
| विशेषता (Feature) | विवरण (Description) |
| परिभाषा | ये सर्वनाम वाक्य के दो उपवाक्यों के बीच संबंध (Relationship) स्थापित करते हैं, एक उपवाक्य की बात को दूसरे से जोड़ते हैं। |
| सर्वनाम शब्द | जो–सो, जैसा–वैसा, जिसका–उसका |
| उदाहरण | * जो बोएगा, सो काटेगा। * जैसी करनी, वैसी भरनी। * जिसका पेन है, वह ले जाए। |
5. निजवाचक सर्वनाम (Nijavāchak Sarvanām / Reflexive Pronoun)
| विशेषता (Feature) | विवरण (Description) |
| परिभाषा | यह कर्ता (Subject) के स्वयं (Self) या अपनेपन का बोध कराता है। इसका अर्थ होता है ‘खुद’ या ‘अपने आप’। |
| सर्वनाम शब्द | आप, स्वयं, खुद |
| उदाहरण | * मैं स्वयं (या खुद) चला जाऊँगा। * आपको अपना काम आप (खुद/अपने आप) करना चाहिए। * उसने अपने आप को चोट पहुँचाई। |
| नोट | निजवाचक ‘आप’ का प्रयोग हमेशा कर्ता के साथ होता है, जबकि मध्यम पुरुष ‘आप’ का प्रयोग आदर देने के लिए किया जाता है। |
विशेषण, भेद और अवस्थाएँ (Adjective, Types, and Degrees)
1. विशेषण (Visheshan / Adjective) क्या है?
- परिभाषा: वे शब्द जो संज्ञा (Noun) या सर्वनाम (Pronoun) की विशेषता (गुण, दोष, संख्या, मात्रा, रंग, आकार, आदि) बताते हैं, उन्हें विशेषण कहते हैं।
- विशेष्य (Visheshya): जिस शब्द की विशेषता बताई जाती है, उसे विशेष्य कहते हैं।
| वाक्य (Sentence) | विशेषण (Adjective) | विशेष्य (Noun/Pronoun) |
| सुंदर लड़की गा रही है। | सुंदर | लड़की |
| यह पांच किलो आटा है। | पांच किलो | आटा |
2. विशेषण के भेद (Types of Adjective)
विशेषण के मुख्य रूप से चार (4) भेद होते हैं:
A. गुणवाचक विशेषण (Guṇvāchak Visheshan / Adjective of Quality)
जो विशेषण संज्ञा या सर्वनाम के गुण, दोष, रंग, आकार, अवस्था, स्थान, काल या दिशा का बोध कराता है।
| विशेषता का प्रकार | उदाहरण (Examples) |
| गुण/दोष | अच्छा, बुरा, सच्चा, ईमानदार, शरारती |
| रंग | लाल, पीला, सफ़ेद, काला |
| आकार | लंबा, छोटा, गोल, चौकोर, मोटा |
| स्थान | भारतीय, ग्रामीण, शहरी, विदेशी |
| काल | नया, पुराना, मासिक, दैनिक |
| अवस्था | गरीब, अमीर, रोगी, स्वस्थ, सूखा |
B. संख्यावाचक विशेषण (Sankhyāvāchak Visheshan / Adjective of Number)
जो विशेषण संज्ञा या सर्वनाम की संख्या का बोध कराता है। यह दो प्रकार का होता है:
- निश्चित संख्यावाचक: जब संख्या निश्चित हो।
- उदाहरण: पाँच किताबें, दूसरा आदमी, तीनों छात्र।
- अनिश्चित संख्यावाचक: जब संख्या निश्चित न हो।
- उदाहरण: कुछ लोग, कई पक्षी, थोड़े पैसे।
C. परिमाणवाचक विशेषण (Parimāṇvāchak Visheshan / Adjective of Quantity)
जो विशेषण संज्ञा की मात्रा या नाप–तौल (Quantity) का बोध कराता है। यह भी दो प्रकार का होता है:
- निश्चित परिमाणवाचक: जब मात्रा निश्चित हो।
- उदाहरण: दो किलो आटा, चार मीटर कपड़ा, एक लीटर दूध।
- अनिश्चित परिमाणवाचक: जब मात्रा निश्चित न हो।
- उदाहरण: थोड़ा पानी, बहुत घी, कम शक्कर, ज़्यादा नमक।
D. सार्वनामिक विशेषण या संकेतवाचक विशेषण (Sārvnāmik Visheshan / Demonstrative Adjective)
जब कोई सर्वनाम शब्द संज्ञा से पहले आकर उसकी ओर संकेत करता है या उसकी विशेषता बताता है।
- सर्वनाम: वह जा रहा है।
- सार्वनामिक विशेषण:वहलड़का जा रहा है।
- (नोट: यहाँ ‘वह’ सर्वनाम है, लेकिन यह ‘लड़का’ (संज्ञा) की ओर संकेत कर रहा है, इसलिए यह सार्वनामिक विशेषण है।)
- अन्य उदाहरण: यह घर, कौन व्यक्ति, कोई छात्र।
3. विशेषण की अवस्थाएँ (Degrees of Adjectives)
विशेषण की तीन अवस्थाएँ होती हैं, जो तुलना (Comparison) के लिए उपयोग की जाती हैं:
1. मूलावस्था (Mūlāvasthā / Positive Degree)
यह विशेषण का सामान्य रूप है। इसमें किसी से कोई तुलना नहीं की जाती है।
- उदाहरण: राम अच्छा लड़का है। यह फल मीठा है।
2. उत्तरावस्था (Uttarāvasthā / Comparative Degree)
इसमें दो व्यक्तियों या वस्तुओं की तुलना की जाती है। इसमें विशेषण के साथ अक्सर ‘से’ या ‘अधिक’ का प्रयोग होता है। (संस्कृत व्याकरण में प्रत्यय ‘तर’ का प्रयोग होता है)।
- उदाहरण: राम श्याम से अधिक अच्छा है। (या राम श्याम से श्रेष्ठतर है)।
3. उत्तमावस्था (Uttamāvasthā / Superlative Degree)
इसमें दो से अधिक व्यक्तियों या वस्तुओं में से किसी एक को सबसे श्रेष्ठ या सबसे निम्न बताया जाता है। इसमें अक्सर ‘सबसे’ या ‘सबमें’ का प्रयोग होता है। (संस्कृत व्याकरण में प्रत्यय ‘तम’ का प्रयोग होता है)।
- उदाहरण: राम कक्षा में सबसे अच्छा लड़का है। (या राम कक्षा में श्रेष्ठतम है)।
| मूलावस्था (Positive) | उत्तरावस्था (Comparative) | उत्तमावस्था (Superlative) |
| महान | महानतर | महानतम |
| उच्च | उच्चतर | उच्चतम |
| अच्छा | (अधिक अच्छा/से अच्छा) | (सबसे अच्छा) |
क्रिया और उसके भेद (Verb and Its Types)
क्रिया (Kriyā / Verb) वे शब्द हैं जिनसे किसी कार्य के होने या किए जाने का बोध होता है।
- उदाहरण: चलना, दौड़ना, खाना, पढ़ना, सोना, होना।
- धातु (Dhātu): क्रिया का मूल रूप, जिसमें कोई प्रत्यय न लगा हो। (जैसे: ‘जाना’ में धातु ‘जा’ है)।
1. कर्म के आधार पर क्रिया के भेद (Types of Verb Based on Object / Karma)
कर्म (Object) की उपस्थिति या अनुपस्थिति के आधार पर क्रिया के दो मुख्य भेद होते हैं:
A. अकर्मक क्रिया (Akarmak Kriyā / Intransitive Verb)
- परिभाषा: वह क्रिया जिसके कार्य का फल (परिणाम) सीधा कर्ता (Subject) पर पड़ता है और जिसे कर्म (Object) की आवश्यकता नहीं होती।
- अकर्मक = अ + कर्मक (कर्म के बिना)
- पहचानने का तरीका: वाक्य में क्रिया से पहले “क्या” या “किसे” लगाने पर यदि कोई संतोषजनक उत्तर न मिले।
- उदाहरण:
- बच्चा रोता है। (कौन रोता है? बच्चा। उत्तर मिला, पर ‘क्या रोता है?’ का कोई उत्तर नहीं)
- पक्षी उड़ते हैं।
- वह सोता है।
- तुम हँसते हो।
B. सकर्मक क्रिया (Sakarmak Kriyā / Transitive Verb)
- परिभाषा: वह क्रिया जिसके कार्य का फल (परिणाम) कर्ता को छोड़कर कर्म (Object) पर पड़ता है और जिसे अपना अर्थ स्पष्ट करने के लिए कर्म की आवश्यकता होती है।
- सकर्मक = स + कर्मक (कर्म के साथ)
- पहचानने का तरीका: वाक्य में क्रिया से पहले “क्या” या “किसे” लगाने पर यदि कोई उत्तर मिले।
- उदाहरण:
- राम किताब पढ़ता है। (राम क्या पढ़ता है? किताब। उत्तर मिला)
- माली फूल तोड़ता है। (माली क्या तोड़ता है? फूल। उत्तर मिला)
- नेहा पत्र लिखती है।
2. रचना के आधार पर क्रिया के भेद (Types of Verb Based on Structure / Formation)
रचना या प्रयोग के आधार पर क्रिया के कई भेद होते हैं। मुख्य भेद निम्नलिखित हैं:
A. सामान्य क्रिया (Sāmānya Kriyā / Simple Verb)
जब वाक्य में केवल एक क्रिया पद का प्रयोग होता है।
- उदाहरण: वह गया। मैंने पढ़ा।
B. संयुक्त क्रिया (Sanyukt Kriyā / Compound Verb)
जब दो या दो से अधिक क्रियाएँ मिलकर एक पूर्ण क्रिया का बोध कराती हैं।
- उदाहरण: बच्चा रोने लगा। वह खाना खा चुका है।
C. नामधातु क्रिया (Nāmdhātu Kriyā / Denominative Verb)
जो क्रियाएँ संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण में प्रत्यय जोड़कर बनाई जाती हैं।
- उदाहरण:
- संज्ञा से: हाथ $\rightarrow$ हथियाना। बात $\rightarrow$ बतियाना।
- विशेषण से: गर्म $\rightarrow$ गरमाना। चिकना $\rightarrow$ चिकनाना।
D. प्रेरणार्थक क्रिया (Preraṇārthak Kriyā / Causative Verb)
जब कर्ता स्वयं कार्य न करके किसी दूसरे को कार्य करने की प्रेरणा देता है।
- उदाहरण:
- मूल क्रिया: पढ़ना
- प्रथम प्रेरणार्थक (स्वयं प्रेरणा देना): अध्यापक छात्र को पढ़ाता है।
- द्वितीय प्रेरणार्थक (दूसरे से प्रेरणा दिलाना): माँ नौकरानी से बच्चे को पढ़वाती है।
E. पूर्वकालिक क्रिया (Pūrvakālik Kriyā / Absolute Verb)
जब कर्ता एक कार्य समाप्त करके तुरंत दूसरा कार्य शुरू करता है, तो समाप्त हुई क्रिया को पूर्वकालिक क्रिया कहते हैं। यह अक्सर क्रिया के साथ ‘कर’ या ‘करके’ जोड़कर बनाई जाती है।
- उदाहरण: वह खाकर सो गया। मैंने पढ़कर टीवी देखा।
अव्यय और उसके भेद (Indeclinable Word and Its Types)
1. अव्यय (Avyay / Indeclinable) क्या है?
- परिभाषा: अव्यय वे शब्द होते हैं जिनमें लिंग, वचन, कारक, काल के कारण कोई परिवर्तन (विकार) नहीं होता है। ये हर स्थिति में अपरिवर्तित रहते हैं। इन्हें अविकारी शब्द भी कहा जाता है।
- शाब्दिक अर्थ: अव्यय = अ (नहीं) + व्यय (खर्च/परिवर्तन)। जिसका रूप कभी न बदले।
- उदाहरण: आज, कल, यहाँ, वहाँ, और, तथा, अरे! आदि।
| वाक्य (Sentence) | परिवर्तन | अव्यय (अविकारी) |
| मैं आज बाज़ार जाऊँगा। (पुल्लिंग, एकवचन) | ‘मैं’ बदला | आज |
| हम आज बाज़ार जाएँगे। (पुल्लिंग, बहुवचन) | ‘हम’ बदला | आज |
| लड़की आज बाज़ार जाएगी। (स्त्रीलिंग, एकवचन) | ‘लड़की’ बदला | आज |
2. अव्यय के भेद (Types of Indeclinables)
अव्यय के मुख्य रूप से चार (4) भेद होते हैं:
A. क्रियाविशेषण अव्यय (Kriyāvisheṣaṇ Avyay / Adverb)
यह वह अव्यय है जो क्रिया (Verb) की विशेषता (रीति, स्थान, काल या मात्रा) बताता है।
भेद और उदाहरण:
| उपभेद (Sub-Type) | विशेषता | उदाहरण (Examples) |
| 1. कालवाचक | क्रिया के होने का समय | कल, आज, परसों, अभी, पहले |
| 2. स्थानवाचक | क्रिया के होने का स्थान | यहाँ, वहाँ, ऊपर, नीचे, बाहर, अंदर |
| 3. रीतिवाचक | क्रिया के होने का तरीका (Style/Manner) | धीरे–धीरे, तेज़, अचानक, सहसा, ऐसे |
| 4. परिमाणवाचक | क्रिया की मात्रा (Quantity) | बहुत, कम, थोड़ा, काफ़ी, इतना, जितना |
B. संबंधबोधक अव्यय (Sambandhbodhak Avyay / Postposition or Preposition)
यह अव्यय संज्ञा या सर्वनाम का संबंध वाक्य के दूसरे शब्दों के साथ स्थापित करता है।
- पहचान: ये शब्द हमेशा संज्ञा या सर्वनाम के बाद आते हैं।
- उदाहरण: के पास, के साथ, के ऊपर, के नीचे, के बाद, की ओर।
- वाक्य: घर के पास एक पेड़ है। राम, श्याम के साथ खेल रहा है।
C. समुच्चयबोधक अव्यय (Samuchchaybodhak Avyay / Conjunction)
यह अव्यय दो शब्दों, वाक्यांशों (Phrases), या वाक्यों को जोड़ने का काम करता है।
भेद और उदाहरण:
| उपभेद (Sub-Type) | कार्य | उदाहरण (Examples) |
| 1. समानाधिकरण | समान महत्व के उपवाक्यों को जोड़ना | और, तथा, एवं, परंतु, लेकिन |
| 2. व्यधिकरण | एक मुख्य उपवाक्य को आश्रित उपवाक्य से जोड़ना | क्योंकि, इसलिए, यद्यपि, ताकि, तो |
- वाक्य: राम और श्याम दोस्त हैं। मैं आया क्योंकि मुझे काम था।
D. विस्मयादिबोधक अव्यय (Vismayādibodhak Avyay / Interjection)
यह अव्यय हर्ष (Joy), शोक (Sorrow), आश्चर्य (Surprise), घृणा (Hatred) आदि मन के भावों को प्रकट करता है।
- पहचान: इन शब्दों के बाद अक्सर विस्मयादिबोधक चिह्न (!) लगाया जाता है।
- उदाहरण: वाह!, अरे!, हाय!, छि:, शाबाश!, ओह!।
- वाक्य: अरे! तुम कब आए? वाह! कितना सुंदर दृश्य है।