भाषा: अभिव्यक्ति का आधार और स्वरूप (Language: The Basis of Expression)

भाषा वह साधन है जिसके द्वारा मनुष्य अपने विचारों, भावों और अनुभवों को बोलकर या लिखकर एक-दूसरे तक पहुँचाता है। यह मनुष्य और समाज के बीच संवाद (Communication) स्थापित करने की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है।

भाषा

1. भाषा की परिभाषा (Definition of Language)

भाषा को विभिन्न विद्वानों ने अलग-अलग तरह से परिभाषित किया है, लेकिन इसका मूल सार एक ही है:

“भाषा यादृच्छिक (Arbitrary) ध्वनि प्रतीकों की वह व्यवस्था है, जिसके माध्यम से किसी समाज के लोग आपस में विचारों का आदान-प्रदान करते हैं।”

  • यादृच्छिक (Arbitrary): इसका अर्थ है कि किसी शब्द और उसके अर्थ के बीच कोई स्वाभाविक या तार्किक संबंध नहीं होता (जैसे ‘कुत्ता’ शब्द का अर्थ केवल परंपरा से तय हुआ है)।
  • प्रतीक: इसका अर्थ है कि हम ध्वनि चिह्नों (अक्षरों या शब्दों) का प्रयोग करते हैं।
  • व्यवस्था: इसका अर्थ है कि भाषा नियमों (व्याकरण) से बंधी होती है।

2. भाषा के प्रकार (Types of Language)

मुख्य रूप से विचारों के आदान-प्रदान के तीन तरीके माने जाते हैं:

A. मौखिक भाषा (Oral Language) 🎤

जब हम अपने विचारों को बोलकर व्यक्त करते हैं और सामने वाला सुनकर समझता है, तो उसे मौखिक भाषा कहते हैं।

  • उदाहरण: बातचीत करना, भाषण देना, रेडियो सुनना।
  • विशेषता: यह भाषा का सबसे प्राचीन और अस्थाई (Temporary) रूप है।

B. लिखित भाषा (Written Language)

जब हम अपने विचारों को चिह्नों या अक्षरों के माध्यम से लिखकर व्यक्त करते हैं और सामने वाला पढ़कर समझता है, तो उसे लिखित भाषा कहते हैं।

  • उदाहरण: पत्र लिखना, किताबें पढ़ना, समाचार पत्र।
  • विशेषता: यह भाषा का मानक (Standard) और स्थाई (Permanent) रूप है, जिससे ज्ञान को सदियों तक सुरक्षित रखा जा सकता है।

C. सांकेतिक भाषा (Sign Language) 🤫

जब विचारों को इशारों, संकेतों या शारीरिक हाव-भाव (Gestures) से व्यक्त किया जाता है। हालाँकि, इसे व्याकरण में पूर्ण भाषा का दर्जा नहीं दिया जाता क्योंकि इसके नियम सीमित और अस्पष्ट होते हैं।

  • उदाहरण: यातायात पुलिस के इशारे, मूक-बधिरों की भाषा।

3. लिपि: देवनागरी (Script: Devanagari)

किसी भी भाषा की ध्वनियों को जिन चिह्नों या संकेतों द्वारा लिखा जाता है, उन्हें लिपि (Script) कहते हैं।

देवनागरी लिपि (Devanagari Script):

हिंदी, मराठी, नेपाली, संस्कृत और कोंकणी जैसी कई भारतीय भाषाएँ जिस लिपि में लिखी जाती हैं, उसे देवनागरी कहते हैं।

  • उत्पत्ति: इसका विकास प्राचीन ब्राह्मी लिपि से हुआ है।
  • वैज्ञानिकता: यह विश्व की सबसे वैज्ञानिक लिपियों में से एक है क्योंकि इसमें जो बोला जाता है, वही लिखा जाता है (Phonetic Consistency)। इसमें हर ध्वनि के लिए एक निश्चित चिह्न है।
  • विशेषताएँ:
    • यह बाएँ से दाएँ लिखी जाती है।
    • इसकी पहचान इसकी शिरोरेखा (Horizontal line) है जो शब्दों के ऊपर खींची जाती है।

4. व्याकरण की परिभाषा (Definition of Grammar)

भाषा को शुद्ध, व्यवस्थित और मानक बनाए रखने के लिए नियमों की आवश्यकता होती है। यह नियमों का समूह ही व्याकरण कहलाता है।

“व्याकरण वह शास्त्र है जो हमें किसी भाषा के शुद्ध रूप का ज्ञान कराता है और उसके नियमों का व्यवस्थित अध्ययन करता है।”

व्याकरण का कार्य:

  1. शुद्धता: यह बताता है कि ‘सीता जाता है’ गलत है और ‘सीता जाती है’ सही है।
  2. व्यवस्था: यह शब्द क्रम को निश्चित करता है (जैसे: कर्ता + कर्म + क्रिया)।
  3. मानकीकरण: यह भाषा के एकरूपता को बनाए रखता है ताकि देश के विभिन्न हिस्सों में एक ही अर्थ समझा जाए।

व्याकरण के मुख्य अंग

व्याकरण के अध्ययन को मुख्य रूप से चार भागों में बाँटा गया है:

  1. वर्णविचार: वर्णों (अक्षरों) और ध्वनियों का अध्ययन।
  2. शब्दविचार: शब्दों के निर्माण, भेद (संज्ञा, सर्वनाम आदि) और रूप-परिवर्तन का अध्ययन।
  3. पदविचार: वाक्य में शब्दों के प्रयोग और उनके आपसी संबंध का अध्ययन (कारक, पद-परिचय)।
  4. वाक्यविचार: वाक्यों की रचना, प्रकार और शुद्धता का अध्ययन।

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