Williams %R इंडिकेटर क्या है ,इससे ट्रेड कैसे करें?

williams r indicator

Williams %R इंडिकेटर क्या है ?

williams %R, जिसे कभी-कभी विलियम्स परसेंट रेंज भी कहा जाता है, एक मोमेंटम इंडिकेटर है। इसे लैरी विलियम्स ने विकसित किया था। इसका उपयोग यह मापने के लिए किया जाता है कि कोई स्टॉक ओवरबॉट (overbought) या ओवरसोल्ड (oversold) स्थिति में है या नहीं। यह इंडिकेटर 0 से -100 के बीच की रेंज में चलता है।

Williams %R कैसे काम करता है?

यह इंडिकेटर एक निश्चित अवधि (जैसे 14 दिन) के दौरान किसी स्टॉक के क्लोजिंग प्राइस (closing price) की तुलना उस अवधि के उच्चतम (highest high) और निम्नतम (lowest low) प्राइस रेंज से करता है। इसका फार्मूला इस तरह होता है:

Williams%R=(Highest High−Lowest Low)(Highest High−Current Close)​×−100

Highest High: चुनी गई अवधि के दौरान सबसे ज़्यादा प्राइस।
Lowest Low: चुनी गई अवधि के दौरान सबसे कम प्राइस।
Current Close: मौजूदा क्लोजिंग प्राइस।
उदाहरण के लिए, अगर पिछले 14 दिनों में सबसे ज़्यादा प्राइस $50, सबसे कम $40, और मौजूदा क्लोजिंग प्राइस $48 है, तो विलियम्स %R होगा:

Williams%R=(50−40)(50−48)​×−100=102​×−100=−20

Williams %R को कैसे समझें?

विलियम्स %R इंडिकेटर को दो मुख्य स्तरों पर पढ़ा जाता है:

ओवरबॉट कंडीशन (Overbought Condition):

जब इंडिकेटर -20 से 0 के बीच होता है, तो यह माना जाता है कि स्टॉक ओवरबॉट है। इसका मतलब है कि स्टॉक की कीमत बहुत ज़्यादा बढ़ चुकी है और इसमें गिरावट की संभावना हो सकती है। यह बिकवाली (sell) का संकेत हो सकता है।


ओवरसोल्ड कंडीशन (Oversold Condition):

जब इंडिकेटर -80 से -100 के बीच होता है, तो यह माना जाता है कि स्टॉक ओवरसोल्ड है। इसका मतलब है कि स्टॉक की कीमत बहुत ज़्यादा गिर चुकी है और इसमें उछाल की संभावना हो सकती है। यह खरीदारी (buy) का संकेत हो सकता है।

Williams %R के साथ ट्रेड कैसे करें?

विलियम्स %R का उपयोग ट्रेडर्स आमतौर पर अन्य इंडिकेटर्स के साथ करते हैं ताकि गलत संकेतों से बचा जा सके। इसे इस्तेमाल करने के कुछ तरीके:

सिग्नल की पुष्टि (Confirmation of Signals):

जब विलियम्स %R -80 से नीचे जाता है और उसके बाद वापस ऊपर आता है, तो इसे खरीदने का एक मज़बूत संकेत माना जा सकता है। इसी तरह, जब यह -20 से ऊपर जाता है और फिर नीचे आता है, तो यह बेचने का संकेत हो सकता है।


डायवर्जेंस (Divergence):

बुलिश डायवर्जेंस (Bullish Divergence): जब स्टॉक की कीमत नई निचली सतह (new lows) बनाती है, लेकिन विलियम्स %R ऊपरी निचली सतह (higher lows) बनाता है, तो यह आने वाले उछाल (uptrend) का संकेत हो सकता है।
बियरिश डायवर्जेंस (Bearish Divergence): जब स्टॉक की कीमत नई ऊपरी सतह (new highs) बनाती है, लेकिन विलियम्स %R निचली ऊपरी सतह (lower highs) बनाता है, तो यह आने वाली गिरावट (downtrend) का संकेत हो सकता है।

Williams %R के फायदे और नुकसान

फायदे:

यह एक फास्ट इंडिकेटर है, जो ट्रेंड के बदलाव का जल्दी संकेत दे सकता है।
ओवरबॉट और ओवरसोल्ड स्थितियों को पहचानने में बहुत प्रभावी है।
इसे अन्य इंडिकेटर जैसे मूविंग एवरेज और आरएसआई के साथ इस्तेमाल करके ज़्यादा सटीक परिणाम पाए जा सकते हैं।

नुकसान:

यह गलत संकेत (false signals) दे सकता है, खासकर जब बाज़ार में साइडवेज़ मूवमेंट (sideways movement) हो।
इसे अकेले इस्तेमाल करने से बचना चाहिए।
इसका उपयोग केवल अल्पकालिक (short-term) ट्रेडिंग के लिए ज़्यादा होता है, दीर्घकालिक (long-term) निवेश के लिए कम।


निष्कर्ष

Williams %R एक उपयोगी उपकरण है जो ट्रेडर्स को बाज़ार की मोमेंटम और संभावित ट्रेंड रिवर्सल (trend reversals) को समझने में मदद करता है। हालाँकि, इसका उपयोग हमेशा अन्य तकनीकी विश्लेषण (technical analysis) उपकरणों के साथ मिलकर करना चाहिए।

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